तुम मुझसे सब कुछ छीन सकते जो नहीं छीन सकते वो मेरे लड़ने का जज़्बा! तुम मुझसे सब कुछ छीन सकते जो नहीं छीन सकते वो मेरे लड़ने का जज़्बा!
गूंजती है आज भी फिज़ा में हजारों सिसकियां, घुट घुट कर तड़पती है इस समाज में बेटियां! गूंजती है आज भी फिज़ा में हजारों सिसकियां, घुट घुट कर तड़पती है इस समाज में ...
इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं
आत्महत्या...। आत्महत्या...।
बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...! बिलखती है ख़ामोशी चीख़ता है सन्नाटा पालनकर्ता माँग रहा है दो रोटी का आटा...!
राजनीति पर प्रहार करती एक मार्मिक कविता...! राजनीति पर प्रहार करती एक मार्मिक कविता...!